
विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की।
नई दिल्ली:
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति भवन के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने ये निर्णय लिया था कि राष्ट्रपति को यह अवगत कराया जाए, उनके सामने ये बात लाई जाए कि किस तरह से राज्य पास किसानों से संबंधित बिल को किया गया है।
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आजाद ने कहा कि दुर्भाग्य से सरकार ने न तो इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा और न ही सेलेक्ट कमेटी को भेजा। अगर प्रेषित होता है तो ये बहुत अच्छा बिल बन सकता है और किसानों को फायदा होता है। जब राज्यसभा में बिल आया तो अलग-अलग पक्षों ने अलग-अलग रेजोल्यूश दिए थे। जिन्होंने इस ऑर्डिनेंस के खिलाफ रेजोल्यूशन दिया था कि ये ऑर्डिनेंस नहीं होना चाहिए था। जिस पर मतदान होता है।
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उन्होंने कहा, ” हमारे दो सहयोगियों ने मोशन दिया था कि इसको सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। हम सब लोग थेको सेलेक्ट करने के लिए भी 18 पार्टियां हैं, ये नहीं हुआ, फिर हम लोग बैठे और 15 लोगों के ही सिग्नेचर हुए, 15 भागों के ही सिग्नेचर हो पाए क्योंकि जब हमने ये पत्र दिया तो रात को देर हो गई। था, तीन पक्षों के हम सिग्नेचर नहीं करा पाए और राष्ट्रपति जी को हमने ये पत्र लिखा और कहा कि हम अपॉइंटमेंट भी मांगते हैं औ मांग हम आपको एडवांस में ये कॉपी भेज देते हैं। जिसके बाद हंगामा हुआ, इसलिए हंगामे के लिए अपोजीशन जिम्मेदार नहीं है, हंगामे के लिए सरकार जिम्मेदार है। ”
आजाद ने कहा, ” दुर्भाग्य से हमारे डिप्टी चेयरमैन साहब, जिनके खिलाफ हमने वोट ऑफ नो कॉन्फिडेंस लिया, उन्होंने दबादब बिल को पारित कराने का जो प्रयास किया और किया, हमें किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था, जो खड़े थे, उस सदन में जो लोग बैठे थे उनमें लोकसभा में उन्हें कुछ मालूम ही नहीं हो रहा था क्योंकि आवाज तो राज्यसभा में भी सुनाई नहीं दे रही थी, तो जो बिल पास हुआ, रेजोलुशन मूव करने की किसी को इजाज़त नहीं मिली, उस वोटिंग नहीं हुई। । ग्वालजन के लिए हमारे साथी चिल्ला रहे थे कि कवजन डो, मोशन पर वोटिंग करो और बालजन करो, न वोटिंग हुई, न वैइस वोट हुई, नवलजन हुई, न लॉबीस क्लियर हुईं, किसी भी युवजन पर बात नहीं हुई। ”
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